अपनों का रूठना बुरा है, रिश्तों का टूटना बुरा तो है... पर सबसे बुरा नहीं, सबसे बुरी वो घड़ी होती है, जो चलते हुए भी..आपकी कलाई पर थमी होती है सबसे बुरी वो आंख होती है, जो सब कुछ देखकर भी ठंडी बर्फ सी जमी होती है सबसे बुरा होता है.. घर से काम पर जाना और काम से घर लौटना.. सबसे बुरा होता है.. सपनों का न आना और जज्बातों का मर जाना पर जब तक जिंदा हुं.. जोश रहेगा, जज्बा रहेगा और जज्बात भी.. आखिर.. रुकना, झुकना और बिखर जाना...हम भारतीयों की नियति नहीं..
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