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शुक्रवार, दिसंबर 3

बलात्कार - सेक्स और समाज का चश्मा

आज सुबह की बात हैं मेट्रो से दफ्तर का सफर तभी किसी दोस्त का फोन आया बोली मैं बहुत खुश हूं आज के दिन पर.. मैनें सोचा आज तो भोपाल गैस कांड की बरसी है तो आज के दिन खुश होने वाली भला क्या बात? फिर वो बोली अख़बार पढ़कर खुश हुई, उसमें धौलाकुआं रेप के केस के दो आरोपियों की गिरफ्तारी की ख़बर छपी थी। वो बोली “चलो कम से कम पुलिस के हत्थे तो चढ़े..लेकिन अगर रेप होता ही नहीं सुरक्षा इतनी पुख्ता होती तो अच्छा रहता।“ मैनें कहा “ बेहतर होता कि बलात्कार पीड़ित लड़कियों को समाज स्वीकार ले ” उसने कहा कि exceptions से रेप होने बंद हो जाएंगे, मेरा जवाब था नहीं लेकिन परिवर्तन जरुर आएगा। हरियाणा में सबसे ज्यादा भ्रूण हत्या क्यों होती हैं ? क्योंकि वहीं रोटी-बेटी का रिश्ता सबसे व्यापक है, दहेज बहुत चलता हैं। जब बेटी होना महंगा और घाटे का सौदा है तो भला कौन मोल ले इस मुसीबत को !! जवाब सीधा सा है अगर दहेज रुकेगा तो लड़ियां भड़ेगी..फिर चाहे उसके बदले हुड्डा अपने चुनावी मैनेफ्सटो में लिखवाये कि हरियाणा में किसी को कुंवारा नहीं रहने देंगे या शीला लाडली सी योनजा चलाए कुछ नहीं बदलने वाला...।

वो बोली दहेज से रेप का क्या रिश्ता, मैनें जवाब दिया कि देख रेप एक Sexual-Physical मुद्दा है और दहेज-भ्रूण हत्या एक Socio-economical ममला पर दोनों में स्त्री समान है और सामान भी...। दहेज़ रोकने के बेटियों की बलि रुकेगी और रेप पीड़ित लड़कियों को दिल और समाज (शादी) अपनाने से दर्द कम होगा। ठीक वैसे ही जैसे जब हमें बुखार होता है, तो हम चाहते हैं कि घरवाले हमारी केयर करें और अगर किसी लड़की का रेप हो तो उसे भी लाइफ में उस वक्त सबसे ज्यादा जरुरत अपने पति-पिता या प्यार की ही होगी..क्योकि इसमें उसका कोई कसूर नहीं था, जो उसे मौत सा दर्द सहना पड़ा कम से कम पुरुष उसके दर्द पर दवा का काम तो कर सकते है नमक की जगह...।

मेरी दोस्त बोली कि ऐसा तो exceptional नहीं मुनिंग है, मेरा जवाब था – “आज हम दोनों लव-मैरिज़ करने जा रहे हैं, 100 साल पहले ये मुनिंग नहीं था। उससे 100 साल पहले विधवा-विवाह सम्भव नहीं था, लेकिन राममोहन राय ने करके दिखाया। और आज लड़के के मर जाने पर उसके मां-बाप ही अपनी बहु की शादी की वकालत आमतौर पर रहते हैं। दोस्त ये कोई रुसी क्रातिं नहीं है, जो पल भर में हो जाये और क्षण भर में बर्लिन की दीवार की तर्ज पर ढह जायें..परिवर्तन एक दिन में नहीं होता लेकिन सदा के लिये होता हैं।“ मेने एक नॉवल पढ़ा। कारगिल के किसी अफसर का, जिसमें 99 की जंग में देश के लिये वो अपाहिज हो गया था। अपनी पत्नी को सेक्सव्ल खुशी नहीं दे सकता था। उसने अपनी पत्नी के लिये जिगोलो (मेल-कॉल बॉय) बुलाना शुरु किया आज वो दोनो (पति-पत्नी) साथ है और खुश भी...ये प्यार है और परिवर्तन भी..। जो रेप के बाद अपनाने से किसी भी तरह कमतर नहीं ।

यहां सवाल सिर्फ धौलाकुआं रेप केस तक सीमित नहीं है। हर रेप के बाद ऐसे लोगो की कमी नहीं होती जो कभी वक्त और कभी वस्त्रो को बहाना बनाकर लड़की के क्रकट्रर पर सवाल खड़े करते रहते हैं। लेकिन रेप भी दो किस्म के होते है गैरकानूनी रेप और कानूनी या सामाजिक रेप। मेरी एक बंगाली दोस्त थी आर्कुट-फ्रेंट उसने बताया था कि, बच्चपन में उसके मामा उसके साथ रेप करते थे। लेकिन वो कुछ बोल नहीं पाती..आज भी उसे हर लड़के से डर लगता हैं, मानो वो यमदूत हो..। मेरे बहुत समझाने पर वो एक लड़के से शादी के लिये राज़ी हो गई..लेकिन शादी के बाद वो कभी खुल कर जी पाई होगी या नहीं मै नहीं जानता...। यह फैमेनिस्टा के लिये मुद्दा हो सकता है लेकिन समाज के लिये सवालह हैं कि मामा से लेकर पति के भाईयों तक इसे कहते हैं Social rape। मेरी कुछ दोस्त ऐसी भी है जिनके साथ Legal Rape होता है..यानी जब periods या pregnancy में उनका पति बिना रज़ामंदी के सैक्स करता हैं। और वो चिल्लाकर, रोकर, मरकर सो जाती हैं, अगर दिन का दर्द सहने के लिये..।

एक लड़की थी, किसी जमानें में मेरे सबसे करीब, उसकी जाति या मज़हब बनाना नहीं जरुरी वरना पाढक उसमें भी वज़ह डूंडनें लगेगें। उसका बच्चपन छोटे परिवार में गुज़रा था, जवानी की दहलीज पर किसी कारण जौवांइट फैमली में जाना पड़ा। वो बताती थी कि उसके संयुक्त परिवार में जब लड़कियां 14-15 साल ही होती है, उनके कज़न (चचेरे-भाई) कई बार उन्हें पीछे से आकर पकड़ लेते थे। अगर विरोध किया तो बोलते “ बहन डर गई, बहन डर गई” और अगर नहीं किया तो बहुन......द बन गये..। ये किसी भी लड़के या लड़की की वो उमर होती है, जब सेक्स की फीलिगं अपने शबाब पर होती हैं जब परिवार चोखट से बाहर ना जाने दें भाई-दूज से कुछ और भी बन जाता हैं। जब मेनें पहले-पहल ये बात उसके मुह से सुनी तो आखों से आसु निकल पड़े...। मेरे उसे कहा कि कभी तुमनें ऐसी बात मम्मी को नहीं बताई..वो बाली एक बार उसके अपने भाई और एक कज़न को सेक्स करते देख लिया था। दोनो गै वाले काम कर रहे थे..रोती-रोती मम्मी के पास गई, सारी बात बताई..मम्मी बोली अनदेखा करे दो...।“ ये कहकर उसकी आखें छलक गई..मेनें उसे लगें से लगाया, क्योकि उस वक्त उससे ज्यादा कुछ कर भी नहीं करता था..पढ़ रहा था, नौकरी नहीं थी..अगर होती तो यकीन्न उसी समय उससे शादी कर लेता और उस घर लौटनें नहीं देता। यह था Social Rape, जब IPC377 हुआ करती थी। गै होना कानूनी अपराध था लेकिन परिवार पापी हो जायें तो पार्थना भला किसेसे कीजिऐंगा..। जो एक परिवारिक इज्जत का दरीचा बनाकर, उस गलीचे के नीचें औरत का सम्मान की समाधी लगा देते हैं..।

लड़कियों की आप बीती हो बहुत पढ़ ली अब एक लड़के का किस्सा भी सुन लीजियें..राजौरी का रहीस, गाड़ी-बंगले में बसर करनेवाला..। हम लड़को के सामनें हमेशा शैखी बखार्ता था, कि मैं जब चाहु अपनी किसी गर्ल-फ्रेंड के साथ सेक्स कर सकता हु..कभी-कभी तो दोनो लड़कियों के साथ एक साथ..। फिर एक दिन उसने इसका राज़ बताया।। बाला “ देखो यार जब आप किसी भी लड़की से स्मूच (लिप-किस) करते हैं तो उसकी आंखे बंद हो जाती है..उसी टाइम में अपने सैल-केमरे से MMS बना लेता हु..फिर तो जब चाहे जो मर्जी करों..एक के साथ या दोनो की मार लो..” । ऐसे लड़को की कमी नहीं है जो पहले तो लड़कियों का कस्में देते नहीं थकते फिर उसकी इज्ज़त पर थूक कर आगे भड़ जाते हैं..इसे करते है रज़ामंदी से रेप...। जब लव-यू, किस-यू कहें तो आप और मना करना तो बाप..कि मेरा परिवार नहीं मानेगां और मैं अपने परिवार का साथ नहीं छोड़ सकता..। लड़की अकेली..ठगीं सी..बेबस..क्योकि ये रेप धोलाकुआं पर किसी अंजान ने नहीं उसके प्यार ने किया था..।

देखियें, बलात्कार - सैक्स और समाज का चश्मा जवाब मेरें पहले कथन में ही छीपा है कि ये एक Sexual-Physical मामला हैं। क्योकि एस ताकतवर हमेशा कमजौर को दबाता आया है चाहे मुद्दा मुल्क का हो या मनुष्य का..। Physically हो सकता है कि एक लड़की मार्शल-आर्ट सीखकर दस लड़को को मजा-चखा सके लेकिन दसों लड़िया एक नहीं हो सकती..। Sexual इसलिये कि अगर आमतौर पर लड़किया ज्यादा बलशाली होती हो बलात्कार लड़को का ही होता..। अगर आपको मेरे बातों पर भरोसा नहीं तो मेरे पुरुष-पाठक कभी देर-रात दिल्ली के किसी पांचसितारा होलट, राजपथ, पंडारा रोड़, सीपी या अशोक मार्ग पर ठीक-ठाक कपड़े पहनकर खड़े होकर देखें..। कम से कम दस आलिशान कार को आपने रास्ते पर आकर खड़ी हो ही जाएगीं..। जिसमें से 30-40 उमर की औरतें निकल-कर आपको पैसा ओफर करेगीं..एक रात के 15000 तक मिल सकते हैं। यानीं Sexual मुद्दा पर कोई मतभेद नहीं चाहें मामला जेपी-रोड़ का हो या पंडारा-रोड़ का लड़के और लड़ियां दोनो समान है और सामान भी..खरीदार चाहियें..।

आपके मन मैं दो सवाल उठ करे होगें पहले पंडारा-रोड़ का रहस्य मैं कैसे जानता हु..क्या मै भी जीगोलो को नहीं तो साहब पैशे के पत्रकार होने की वजह से रात भर मीडियां की मंडी और सेक्स का बाजार चलता रहता है और दुसरा सवार बलात्करा पर बहस और ब्लॉग लिखना बहुत आसान होता है..अगर खुद की पत्नी या प्यार के साथ हो तो अक्सर जनाब के पास जबाव नहीं रहता..तो जान लीजियें मेरा जवाब हैं हा..साथ-संबध और शादी भी..डंके की चोट पर..अंतिम सांस तक क्योकि परिवर्तन हमारे बस में हैं....!!!

13 टिप्‍पणियां:

Neelam Yadav ने कहा…

Sach-much Rahul agar, Rape jaise ghinone apradh par hamara samaj lagam nahi laga sakta, to samaj ko chayie ki vo is tarah ki bebas, hallat ki maari ladkiyo ko wahi izzat de jo sabhi ko di jaati hai. isme unka kya dosh hai, ki vo kuch aise hawas ke sikoriyo ke hathe chadh gayi. Our society needs a big change to recover all these social evils. Good Post

बेनामी ने कहा…

I totally agree with you. Ye bhi ek karan hota hai ladkiyon ka prostitute ban jane ka. kyuki unki help ke liye koi aage nahi aata balik is baat ka fayda uthate hue kuch dusre log b aisi koshish karte hain. Ye bilkul thik baat hai Hamare SAMAJ mein PARIVARTAN ki Bahu ZAROORAT Hai.

Richa ने कहा…

a very sensitive topic and it needs to be handled
with utmost care..
we need to very caring and understanding to people who have faced these situations..

Unknown ने कहा…

.
बलात्कार कोई समस्या नहीं है! आप लोग पता नहीं मेरी इस बात से सहमत होंगे या नहीं... लेकिन यही सच है... कि बलात्कार कोई समस्या नहीं है...!

क्या कभी हमने ये जानने की कौशिश की के बलात्कार हुआ ही क्यों???
अगर ये जान लिया होता के बलात्कार हुआ ही क्यों तो शायद ही कोई बलात्कार होता...!

बलात्कार केवल बीमार मानसिकता का लक्षण मात्र है...!
लेकिन अफसोस... के हम बलात्कारी को सजा देने के लिए तो लड़ते रहे हैं... परन्तु कभी बलात्कारी की बीमार मानसिकता का अध्यन करके इस रीत को ठीक करने की कौशिश नहीं कर पाये...!

मानव उत्थान मिशन ( http://www.facebook.com/pages/Manav-Utthan-Mission/125885570775775 )इस तरह की सभी सामाजिक, धार्मिक व राजनीतिक रीतियों को ठीक प्रारूप देने के कार्य मे कार्यरत है...!
मानव उत्थान मिशन की इस क्रान्ति मे आपका सहयोग मील का पत्थर साबित होगा...!

आनंदम
सम्पूर्ण आनंद

बेनामी ने कहा…

RAPE - MEN WHO RAPE SHOULD BE KILLED BY EXPOSING THEIR IDENTITIES AND CUTTING OFF THEIR VITAL ORGANS!

SHILPA S ने कहा…

RAPE - MEN WHO RAPE SHOULD BE KILLED BY EXPOSING THEIR IDENTITIES AND CUTTING OFF THEIR VITAL ORGANS!

लोग लोग ने कहा…

यहा तीन बाते लिखना जरुरी है..पहला बिना रोयें तो बच्चे को उनकी मां भी उसे दूध नहीं मिलाती तो आधीं आबादी के लिये आवाज़ उन्हें ही बुलंग करनी होगीं..।

दूसरी - जरुरी नहीं है कि आधी आबादी के जस्बात और जगह सिर्फ वो ही समझते हो..इतिहास गवाह है कि ग...ांधी ने हरिजनों के लिये जो किया वो माया के दलित-उद्धार से कहीं ज्यादा था..।

तीसरी - डर महोब्त को दूर कर देता है, इसलियें इल दहश्त का सबसे ज्यादा नुक्सान लड़को को ही है, जिससे फैमिनिस्ट सियानों को नारें लगाने का मौका मिल जाता है और आदमी एक आवश्यक बुराई बन जाते हैं..।

बेनामी ने कहा…

Very nice ...and very true ... I think men who rape should be killed ...how can they do these things... samefull really..

Sanjit kumar international wrestler ने कहा…

rahul m totaly agree for ur comments on our society sitchvetion,everything depend in ourhand,,we should elect d gud people,who provide us a sticts lawfulc,lear n healthy envirment,than dis disses l b finish automaticly,

बेनामी ने कहा…

very true,some people are very mean,who just want to get the advantage of your single mistake

बेनामी ने कहा…

bhaiyye aurat kamjor nahi hooti uske sooch kamjor hoti hai, ushe dushro par nerbhar rahne aadat ho gaye hai, usko khudh par viswash nahi hai our viswash ke naam par bus ushe mugalta bhaar hai

sanjeev ने कहा…

bhaiyye aurat kamjor nahi hooti uske sooch kamjor hoti hai, ushe dushro par nerbhar rahne aadat ho gaye hai, usko khudh par viswash nahi hai our viswash ke naam par bus ushe mugalta bhaar hai

Amit Kumar ने कहा…

शायद सारी समस्‍याओं की जड यही है कि हमारे यहां प्रेम और सेक्‍स जैसे टापिक पर खुलकर बात नही की जाती और हर कोई सेक्‍स को बहुत गलत समझता है लेकिन उतना ही उत्‍सुक रहता है